पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्लादेश में संकट में फंसे लोगों को आश्रय देने की पेशकश की है। पहले ही बांग्लादेशियों की घुसपैठ से देश परेशान है। यह घुसपैठिये कई क्षेत्रों में कानून व्यवस्था के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। यह घुसपैठिये कई जगह जनसंख्या का सामाजिक धार्मिक अनुपात बिगाड़ने में लगे हुए हैं। फिर भी तुष्टिकरण की राजनीति के लिए विख्यात तृणमूल कांग्रेस बांग्लादेशियों को आने का निमंत्रण दे रही है। देखा जाये तो पश्चिम बंगाल सरकार को इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार ही नहीं है। ये मामले केंद्र सरकार द्वारा देखे जाते हैं ऐसे में ममता बनर्जी की टिप्पणियां पूरी तरह से अनुतिच हैं।हम आपको बता दें कि कोलकाता में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में अपने संबोधन में ममता बनर्जी ने हिंसा प्रभावित बांग्लादेश का जिक्र करते हुए कहा था कि वह पड़ोसी देश से संकट में फंसे लोगों के लिए पश्चिम बंगाल के दरवाजे खुले रखेंगी और उन्हें आश्रय देंगी। ममता बनर्जी ने अपनी इस बात के समर्थन में शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का उल्लेख किया था। तृणमूल कांग्रेस की ‘शहीद दिवस’ रैली में ममता बनर्जी ने कहा, “मैं आपको यह बता सकती हूं कि अगर असहाय लोग बंगाल का दरवाजा खटखटाते हैं, तो हम निश्चित रूप से उन्हें आश्रय देंगे।” हम आपको बता दें कि बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर कई दिन से प्रदर्शन हो रहे हैं और हालात बिगड़ने पर शनिवार को पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया। सैन्य बलों ने राष्ट्रीय राजधानी ढाका के विभिन्न हिस्सों में गश्त की। दरअसल प्रदर्शनकारी बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में लड़ने वाले पूर्व सैनिकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण दिये जाने की प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं।वहीं भाजपा ने ममता बनर्जी के इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा है कि ममता जी, आप वही व्यक्ति हैं जिन्होंने CAA के बारे में कहा था कि हम हिंसा से पीड़ित किसी भी हिंदू, सिख, पारसी या ईसाई शरणार्थी को बंगाल में प्रवेश नहीं करने देंगे। भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ममता जी ने हमेशा CAA का विरोध किया है, जबकि CAA का भारत के नागरिकों से कोई संबंध नहीं था, चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम। उन्होंने कहा कि ममता जी, अखिलेश यादव और राहुल गांधी संविधान की बात करते रहते हैं। क्या आपको संविधान में अधिकार है? यह अधिकार भारत सरकार का है। यह शक्ति राज्य सरकार की नहीं है।”
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