आज यानी की 31 अक्तूबर केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल अपना 61वां जन्मदिन मना रहे हैं। वह असम के 14वें मुख्यमंत्री रहे हैं। सर्बानंद सोनोवाल भाजपा सदस्य हैं और असम की राज्य विधायी विधानसभा में माजुली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी गिनती असम के युवा तेजतर्रार नेताओं में होती है। तो आइए जानते हैं उनके बर्थडे के मौके पर केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में… असम के डिब्रुगढ़ में 31 अक्तूबर 1962 को सर्बानंद सोनोवाल का जन्म हुआ था। बता दें कि उन्होंने छात्र जीवन से ही राजनीति में कदम रखा था। सोनोवाल असम गण परिषद की स्टूडेंट विंग ऑल असम स्टूडेंट यूनियन और पूर्वोत्तर के राज्यों में नॉर्थ ईस्ट स्टुडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। सोनोवाल राजनीति में अच्छी पकड़ रखते हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी का हाथ थामने से पहले वह असम गण परिषद से जुड़े थे। वहीं साल 2001 में पहली बार असम गण परिषद के सदस्य के तौर विधानसभा के सदस्य बने थे।
राजनीतिक करियर
इसके बाद साल 2004 में उन्होंने इसी पार्टी से लोकसभा का चुनाव जीता था। इसके अलावा उनको असम के जातीय नायक के सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। साल 2011 में सर्बानंद सोनोवाल ने बीजेपी का हाथ थामा था। फिर उनको पार्टी की कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया था। इसके अलावा उन्होंने असम में पार्टी के प्रवक्ता का पद संभाला था। साल 2012 और 2014 में वह असम भाजपा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।फिर साल 2014 में सर्बानंद सोनोवाल ने असम की लखीमपुर सीट से बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की थी। फिर साल 2016 में उनको असम के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इससे पहले सोनोवाल प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में खेल और युवा मामलों के राज्यमंत्री के रूप में भी काम कर चुके हैं। सर्बानंद सोनोवाल का यह कार्यकाल 26 मई 2014 से 23 मई 2016 तक रहा था। वहीं बीजेपी ने साल 2016 के चुनाव की जिम्मेदारी सर्बानंद के कंधों पर डाली गई थी।भारतीय जनता पार्टी ने सर्बानंद सोनोवाल की काबिलियित पर भरोसा जताते हुए उनको राज्य चुनाव प्रबंधन कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था। उन्होंने इस जिम्मेदारी का पूरी ईमानदारी से निर्वहन किया था। इस चुनाव में बीजेपी को 126 विधानसभा सीटों में से 86 सीटों पर प्रचंड जीत हासिल कर भाजपा ने असम में इतिहास रच दिया। बीजेपी को इस चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल हुआ था। जिसके बाद असम की कमान सर्बानंद सोनोवाल को सौंपी गई थी।
