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RSS की 3 दिवसीय समन्वय बैठक में बनेगा नया प्लान


केंद्र की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वैचारिक मातृशक्ति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का तीन दिवसीय प्रमुख सम्मेलन शनिवार को केरल के पलक्कड़ में शुरू हुआ। आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी सुनील अंबेकर के अनुसार, 2024 अखिल भारतीय समन्वय बैठक आरएसएस से जुड़े कई संगठनों की बैठक है, न कि संघ की कार्यकारी बैठक है। इस कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले, बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा और अन्य लोग हिस्सा ले रहे हैं। संघ पिछले 99 सालों से राष्ट्र निर्माण में सक्रिय है। संघ की शुरुआत शाखाओं से हुई, और इन शाखाओं के नेटवर्क से जुड़े कई स्वयंसेवक विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं, जो संघ से प्रेरणा लेते है। संघ की प्रेरणा से कई संगठन बने, और वर्तमान में 32 संगठन देशभर में कार्य कर रहे हैं। इन सभी 32 संगठनों को इस समन्वय बैठक में आमंत्रित किया गया है। बैठक में कुल 320 कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया है। नैशनल सिक्योरिटी और सामाजिक मुद्दे पर बात होगी। बैठक में संघ प्रमुख संघ प्रमुख मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रे होसाबले, सभी सहसरकार्यवाह मौजूद रहेंगे।
सितंबर 2025 में पांच पहल की जाएगी शुरू
अगले साल विजयादशमी से 2026 विजयादशमी तक संघ का शताब्दी वर्ष है। इसमें सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण के मुद्दे, सेल्फहुड, सिविल ड्यूटी पर फोकस रहेगा और बैठक में इस पर भी बात होगी। आरएसएस सितंबर 2025 में अपनी 100वीं वर्षगांठ से पहले ‘सामाजिक सुधार और राष्ट्र निर्माण के लिए पांच पहल’ शुरू करेगा। ये ‘सामाजिक समरसता’, ‘कुटुंब प्रबोधन’, ‘पर्यावरण संरक्षण’, ‘स्वदेशी’ और ‘नागरिक कर्तव्य’ हैं।
बांग्लादेश पर चर्चा
बांग्लादेश, जहां 5 अगस्त को शेख हसीना को प्रधान मंत्री पद से हटा दिया गया था और उसके बाद हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों पर भी चर्चा की जाएगी। बैठक आरएसएस और बीजेपी के बीच ‘अनबन’ की खबरों के बीच हुई है। हाल के लोकसभा चुनावों में भगवा पार्टी ने 240 सीटें जीतीं, जो 2014 में 282 और 2019 में 303 से कम है। हालांकि वह लगातार तीसरी बार बहुमत हासिल करने में विफल रही, लेकिन भाजपा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में अपने सहयोगियों के साथ सरकार बनाई। उत्तर प्रदेश में, जो 543 सीटों वाली लोकसभा में सबसे अधिक 80 सदस्यों को भेजता है और जहां मार्च 2017 से भाजपा सत्ता में है, स्थानीय प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी (37) से पीछे इसकी संख्या 33 हो गई है। पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 2014 और 2019 में क्रमशः 71 और 62 सीटें जीती थीं।

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