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शिव सबसे बड़े राष्ट्रवादी, साम्यवादी व समाजवादी: चिदंबरानंद


लखनऊ। शिवत्व आध्यात्मिक तत्व ही नहीं संपूर्ण वैज्ञानिक अवधारणा है। इनमे सृजन कर्ता,पालक और संहर्ता तीनों स्वरूप समान रूप से विद्यमान हैं। जहाँ सृष्टि के सृजन से पालन तक का दायित्व निभाते हैं वहीं सृष्टि के कल्याण के लिए दुष्टों के संहार से भी पीछे नहीं हटते।यह उदगार श्री हरि हर सेवा समिति के तत्वावधान में जानकीपुरम विस्तार के सेक्टर सात स्थित सूर्या लान में श्री शिव महापुराण कथा का प्रवचन करते हुए कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा, वैश्विक परिपेक्ष्य में देखें तो शिव से बड़ा राष्ट्रवादी देवता नहीं है।वह सच्चे अर्थों में साम्य और समाजवाद के प्रतीक हैं। बिना किसी विशिष्ट स्वरूप मात्र एक पत्थर की बटिया में उन्हें कोई भी समान रूप से प्राप्त कर सकता है। उनकी पूजा के लिए न सिर्फ जल ही पर्याप्त है बल्कि वह संसार की त्याज्य वस्तुओं को सप्रेम स्वीकारते हैं,बस श्रद्धा चाहिए। सरल भाव के चलते सर्व समाज के लिए समान रूप से उपलब्ध हैं। शिव की यही सरलता उन्हें वैश्विक मान्यता की प्रमुख कारक है। आज विश्व के हर कोने में महादेव को पूजने वाले मिल जाएंगे। मुस्लिम देशों सहित तमाम देशों में उत्खनन में प्राप्त शिव लिंग व मूर्तियों का प्राप्त होना शिव के विश्व व्यापी होने का स्वतरू प्रमाण है। भगवान शिव भगवान राम को जहां अपना आराध्य बताते हैं वहीं प्रभु राम सिव द्रोही मम दास कहावा,सो नर मोहि सपनेहु नहिं पावा कहकर उनकी श्रेष्ठता को निरूपित करते हैं। वास्तव में शिव और राम एक ही तत्व हैं। दोनों में दोनों विराजमान हैं। भारतीय संस्कृति की यही विशिष्टता है कि वह सभी को अपना आराध्य चुनने की स्वतंत्रता प्रदान करती है। यही हिन्दुत्व का मूल है जो अन्य मजहबों से भिन्न करता है।उसे शिवत्व प्रदान करता है। तमाम विकृतियों और मतभेदों से ग्रस्त विश्व को शिवत्व, जो कल्याण का उद्घोष है, की राह अपनानी ही होगी अन्यथा संहार के लिए तैयार होना पड़ेगा। श्री शिव महापुराण के आध्यात्मिक स्वरूप की चर्चा करते हुए कहा कि शिव चरित्र अपना कर मानव मात्र परम सुख प्राप्त करने में समर्थ हो सकता है।कथा के शुभारंभ से पूर्व एकेटीयू मंदिर से हाथी, घोड़े,ऊंट,रथादि व बाजे गाजे सहित एक विशाल शोभायात्रा निकाली गई जिसमें सैकड़ों की संख्या में एक रूप साड़ियों में सिर पर कलश उठाए महिला श्रद्धालुओं के साथ तमाम लोग उपस्थित थे। शोभायात्रा के दौरान पूरे जानकीपुरम विस्तार में जगह जगह स्वागत किया गया।कथा स्थल पर शोभायात्रा को स्वामी जी द्वारा संक्षिप्त उद्बोधन दिया गया। अपराह्न नैमित्यिक कथा का प्रारंभ हुआ।इस मौके पर समिति के पदाधिकारियों, महिला मंडल व विभिन्न जिलों से आए श्रद्धालुओं के अलावा स्थानीय लोगों ने भारी संख्या में कथा श्रवण का लाभ उठाया। कथा 18 सितंबर तक प्रतिदिन अपराह्न 3 बजे से 7 बजे तक चलेगी और समापन पर विशाल भंडारे का आयोजन होगा।

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