मथौ ने कहा कि ‘जनवरी 2024 में, रक्षा उपकरणों के सह-डिजाइनिंग, सह-विकास, सह-उत्पादन और हमारी आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से एक द्विपक्षीय रक्षा औद्योगिक रोडमैप का समर्थन किया गया था। तब से, हमारी रक्षा कंपनियों ने काफी प्रगति की है।’भारत में फ्रांस के राजदूत थिएरी मथौ का कहना है कि रक्षा क्षेत्र में भारत और फ्रांस के संबंध असाधारण हैं। उन्होंने कहा कि जब बात रक्षा की आती है तो दोनों देशों के बीच काफी करीबी रणनीतिक संबंध हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय, बहुआयामी और बहु-स्तरीय सैन्य संबंध हैं।
दोनों देशों का रणनीतिक स्वायत्ता पर फोकस
राजदूत ने फ्रांस और भारत के बीच रक्षा साझेदारी को ‘गतिशील’ बताया और कहा, ‘दोनों देश अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की डॉक्टरिन में रणनीतिक स्वायत्ता के विचार को प्रमुखता देते हैं। रणनीतिक स्वायत्ता का मतलब है कि हम खुद स्थिति की समीक्षा करके उसके मुताबिक ही फैसले लेते हैं। साथ ही हम अपनी क्षमता के अनुसार ही सहयोगी का चुनाव करते हैं।’ मथौ ने कहा कि ‘जनवरी 2024 में, रक्षा उपकरणों के सह-डिजाइनिंग, सह-विकास, सह-उत्पादन और हमारी आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से एक द्विपक्षीय रक्षा औद्योगिक रोडमैप का समर्थन किया गया था। तब से, हमारी रक्षा कंपनियों ने काफी प्रगति की है।’
दोनों देशों की नौसेनाएं करती हैं साथ युद्धाभ्यास
मथौ का बयान इस सवाल के जवाब में आया कि क्या दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में कोई नया समझौता हुआ है। मथौ ने हाल ही में दोनों देशों की सेनाओं के बीच आयोजित द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘वरुण’ का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह अभ्यास फ्रांस और भारत के बीच मजबूत समुद्री सहयोग का उदाहरण है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता के लिए उनकी साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
पिछले 25 वर्षों में लगातार मजबूत हुए दोनों देशों के संबंध
गौरतलब है कि भारत और फ्रांस की नौसेनाओं के बीच साल 2001 में युद्धाभ्यास ‘वरुण’ की शुरुआत हुई थी। यह युद्धाभ्यास दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों की माना जाता है और पिछले कुछ वर्षों में दोनों सेनाओं के बीच अंतर-संचालन को बढ़ाने और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान की दिशा में अहम प्रगति हुई है। फ्रांस के राजदूत ने कहा कि भारत-फ्रांस की साझेदारी रक्षा, उद्योग, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई, जैव विविधता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान तक फैली हुई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों के बीच 1998 में स्थापित रणनीतिक साझेदारी, पिछले 25 वर्षों में दोनों देशों में राजनीतिक बदलावों के बावजूद मजबूत हुई है।
