बुंदेलखंड के पाठा के जंगलों से बेजुबान वन्यजीव का लगातार पलायन कर रहे हैं। वहीं वन जीव ज़ुल्म और अनदेखी की वजह से पलायन करने के लिए मजबूर हो गए हैं।ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यहां वन्य जीवों को सरकारी या गैर सरकारी संरक्षण सिर्फ कागजों में ही रह गया हैं।विंध्यांचल की पर्वतमाला कभी वन्यजीवों से गुलजार हुआ करती थी। अब केवल गिने चुने ही वन्यजीव दिखाई देते हैं।चित्रकूट में हर साल बंदरों की संख्या लगातार घट रही है।इसकी सबसे बड़ी वजह है सड़क पार करते समय बंदर वाहनों के चपेट में आ जाते है। हम आपको बता दें कि बुंदेलखंड में नीलकंठ और उल्लू भी दुर्लभ हो गए हैं। नीलकंठ और उल्लू का धार्मिक महत्व है।विजयदशमी के दिन नीलकंठ का दर्शन करना बहुत शुभ होता है।गिद्ध और गौरैया भी खोजने पर भी नहीं मिलते।जीव-जंतुओं की सुरक्षा के लिए हर साल केंद्र और प्रदेश सरकारें करोड़ों रुपया खर्च कर रही हैं,लेकिन परिणाम कुछ खास नहीं आ रहा है। hindi newsचित्रकूट के रानीपुर टाइगर रिजर्व के उप निदेशक पीकत्रिपाठी ने इस बात की पुष्टि की है कि चित्रकूट के काले हिरन भी विलुप्त हो रहें हैं। बांदा में इनकी संख्या मात्र 59 बताई गई है।
