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पोप ने भारतीय धर्मगुरु को किया याद


पोप ने कहा कि ‘श्री नारायण गुरु ने अपने संदेश के माध्यम से सामाजिक और धार्मिक जागृति को बढ़ावा देने में अपना जीवन समर्पित कर दिया। गुरु ने अपने संदेश में कहा था कि सभी मनुष्य, चाहे उनकी जाति, धर्म और सांस्कृतिक परंपराएं कोई भी हों, एक ही मानव परिवार के सदस्य हैं।’पोप फ्रांसिस ने कहा है कि आज जब हर जगह नफरत बढ़ रही है तो ऐसे समय में श्री नारायण गुरु का सार्वभौमिक मानव एकता का संदेश प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि समाज सुधारक का संदेश ‘आज की हमारी दुनिया के लिए प्रासंगिक है, जहां हमें लोगों और देशों के बीच असहिष्णुता तथा नफरत बढ़ने के उदाहरण देखने को मिल रहे हैं।’
श्री नारायण गुरु ने अपनी शिक्षाओं में सामाजिक और धार्मिक जागृति पर दिया जोर
एर्नाकुलम जिले के अलुवा में श्री नारायण गुरु के सर्व-धर्म सम्मेलन के शताब्दी समारोह के अवसर पर शनिवार को वेटिकन में धर्मगुरु जुटे। इन धर्मगुरुओं और प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए पोप फ्रांसिस ने यह बात कही। पोप ने कहा कि ‘आज दुनिया में जो अशांति का माहौल है और इसके लिए लोगों द्वारा अपने धर्मों की शिक्षाओं को न अपनाना एक बड़ी वजह है। उन्होंने कहा कि ‘श्री नारायण गुरु ने अपने संदेश के माध्यम से सामाजिक और धार्मिक जागृति को बढ़ावा देने में अपना जीवन समर्पित कर दिया। गुरु ने अपने संदेश में कहा था कि सभी मनुष्य, चाहे उनकी जाति, धर्म और सांस्कृतिक परंपराएं कोई भी हों, एक ही मानव परिवार के सदस्य हैं।’
भेदभाव के खिलाफ थे श्री नारायण गुरु
पोप ने कहा, ‘श्री नारायण गुरु ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी स्तर पर किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। दुख की बात है कि कई समुदायों और लोगों को नस्ल, रंग, भाषा और धर्म के आधार पर रोजाना भेदभाव तथा तिरस्कार झेलना पड़ रहा है और हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। खासकर ऐसा उन लोगों और समुदाय के साथ हो रहा है जो गरीब और कमजोर तबके के हैं।’पोप फ्रांसिस ने वैश्विक असहिष्णुता से निपटने के लिए श्री नारायण गुरु की शिक्षाओं को अपनाने की अपील की।
कौन थे श्री नारायण गुरु
श्री नारायण गुरु (1856-1928), केरल के एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक नेता और समाज सुधारक थे, जिन्होंने अपनी शिक्षाओं में सामाजिक समानता की बात की। उन्होंने जातिगत भेदभाव की निंदा की और एकता और आध्यात्मिक ज्ञान पाने पर जोर दिया। एक पिछड़े हिंदू परिवार में जन्मे श्री नारायण गुरु ने जातिगत भेदभाव को खत्म करने, करुणा, अहिंसा और धार्मिक सद्भाव जैसे मुद्दों पर जोर दिया और इन्हीं कामों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

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