अमित मालवीय ने कैप्शन में ट्रंप के बयान के अंश साझा किए है, जिसमें ट्रंप ने कहा कि ‘मुझे लगता है कि वे (बाइडन सरकार) किसी और को निर्वाचित कराना चाहते थे। हमें इस बारे में भारत सरकार को बताना चाहिए..यह चैंकाने वाला खुलासा है।’अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय चुनाव में अमेरिकी फंडिंग को लेकर सवाल उठाए हैं। अब इसे लेकर भारत की राजनीति गरमा गई है। भाजपा नेता अमित मालवीय ने डोनाल्ड ट्रंप के बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया है। इस वीडियो के साथ अमित मालवीय ने कैप्शन में ट्रंप के बयान के अंश साझा किए है, जिसमें ट्रंप ने कहा कि ‘मुझे लगता है कि वे (बाइडन सरकार) किसी और को निर्वाचित कराना चाहते थे। हमें इस बारे में भारत सरकार को बताना चाहिए..यह चैंकाने वाला खुलासा है।’
अमित मालवीय ने परोक्ष तौर पर विपक्ष पर साधा निशाना
ट्रंप ने गुरुवार को मियामी में एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय चुनाव में अमेरिकी एजेंसी USAID के जरिए 2.1 करोड़ डॉलर की फंडिंग पर नाराजगी जाहिर की। भाजपा ने भी ट्रंप के बयान को हाथों हाथ लिया और इसे भारत की चुनावी प्रक्रिया में विदेशी हस्तक्षेप बताया है। भाजपा नेता अमित मालवीय ने हाल ही में अमेरिका के सरकारी दक्षता विभाग के एक सोशल मीडिया पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि ‘भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए 2.1 करोड़ डॉलर? यह पक्के तौर पर भारत की चुनावी प्रक्रिया में विदेशी हस्तक्षेप की कोशिश है। इससे किसे फायदा हुआ? निश्चित तौर पर सत्ताधारी पार्टी को तो इसका लाभ नहीं मिला है।’
पूर्व चुनाव आयुक्त के जॉर्ज सोरोस के संगठन के साथ समझौते पर उठाए सवाल
एक अन्य पोस्ट में अमित मालवीय ने लिखा कि ‘साल 2012 में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। ओपन सोसाइटी फाउंडेशन को USAID द्वारा फंडिंग की जाती रही है। इससे साफ है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में संस्थागत तरीके से उन ताकतों द्वारा भारतीय संस्थानों में घुसपैठ की गई जो भारत को कमजोर करना चाहती हैं।’
अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने भी जताई चिंता
अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने भी एक पोस्ट में भारतीय चुनाव में अमेरिकी फंडिंग को लेकर चिंता जाहिर की और लिखा कि ‘न सिर्फ भारत की चुनावी प्रक्रिया में यूएसएआईडी का हस्तक्षेप को लेकर बल्कि देशवासियों को इस बात को लेकर भी चिंतित होना चाहिए कि भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था और सामाजिक नीतियों में भी यूएसएआईडी का दखल है। साल 1990 से दो साल पहले तक भारत का मेडिकल सिस्टम सर्वे USAID द्वारा किया जाता था। यूएसएआईडी भारत के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे का संचालन करती थी।’ सान्याल ने लिखा कि ‘हमने न सिर्फ विदेशी एजेंसी को अपने अहम मेडिकल डाटा तक पहुंच दी बल्कि उन्हें सर्वे करने और विश्लेषण करने की भी इजाजत दी और हमने उन्हें हमारे राष्ट्रीय स्वास्थ्य रेस्पॉन्स को प्रभावित करने की छूट दी।’
