लखनऊ। राजधानी लखनऊ में उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी ने इंदिरा भवन स्थित कार्यालय में एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया। इस संगोष्ठी का विषय था श्गुरमति साहित्य में भगत कबीर की वाणी एवं सामाजिक समरसताश्।इस मौके पर डॉ. दलबीर सिंह ने संगोष्ठी की शुरुआत की।उन्होंने गुरमति साहित्य के मूल उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि गुरु ग्रंथ साहिब में सिख गुरुओं के साथ संतों और भक्त कवियों की वाणी भी शामिल है।स. नरेन्द्र सिंह मोंगा ने कबीर के योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि कबीर ने जाति-धर्म के भेदभाव के खिलाफ प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। स. त्रिलोक सिंह ने कबीर की प्रसिद्ध उक्ति जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान का जिक्र किया। अजय कुमार पाण्डेय ने कबीर की वाणी की वर्तमान प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। डॉ. रश्मि शील ने बताया कि कबीर की वाणी ने सिख सिद्धांतों को मजबूत किया। कार्यक्रम में अकादमी निदेशक ओम प्रकाश सिंह, अरविंद नारायण मिश्र, मीना सिंह और अंजू सिंह समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम के समापन पर वक्ताओं को अंगवस्त्र और स्मृति-चिह्न देकर सम्मानित किया गया। श्रोताओं ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए इस तरह के आयोजनों की पुनरावृत्ति की मांग की।
