लखनऊ। बड़े चुनावी वादों के झुनझुने को दूर रखकर मोदी सरकार के कार्यकाल का अंतिम अंतरिम बजट वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पेया किया। जिसमें गरीब, युवा, अन्नदाता व महिलाओं पर ही फोकस किया गया। लेकिन गृहणियों नौकरीपेयाा और मध्यमवर्गीय को कही से कोई राहत नहीं मिलीे। बजट में भारत को विकसित भारत और भारतीय अर्थ व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने पर फोकस किया गया है। सीधे शब्दों में कहा जाय तो इस अंतरिम बजट में सरकार ने किसी पर कोई बोझ नहीं डाला है तो किसी को कोई राहत भी प्रदान नहीं की है। चुनावी वादों से दूर धरातल पर काम करने वाली मोदी सरकार ने युवाओं, महिलाओं, गरीबों व किसानों को भविष्य में लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं पर तो बजट दिया है। परन्तु वर्तमान में कोई राहत मिलती दिखाई नहीं देती है। सबसे अधिक आयाा नौकरीपेयाा और मध्यमवर्गीय लोगों को थी परन्तु आयकर स्लैब में कोई छूट न मिलने से उनको निरायाा हुयी। जबकि वित्तमंत्री के अनुसार इन्कम टैक्य रिर्टन फाइल करने वालों की संख्या ढाई गुना बढ़ी है। जीएसटी कलेक्या काफी बढ़र है। वही महंगाई की मार झेल रही गृहणियों की रसोई को भी कोई राहत इस अंतरिम बजट में न मिलने से गृहिणियों को निरायाा ही हाथ लगी है। वे खासतौर पर पेट्रोलियम व रसोई गैस में कुछ और राहत की आयाा बजट से कर रही थी। अंतरिम बजट से एक बात तो तय है कि कुछ और हो न हो परन्तु देया की अर्थव्यवस्था अवयय सुदृढ़ होगी। भले ही मध्यमवर्गीय किरायेदारों के लिये दो करोड़ घरो को बनाने की बात हो, तीन करोड लखपति दीदी, एक करोड़ सोलर टॉप हो, गरीबों को किसानों को तीन सौ यूनिट सोलर बिजली फ्री देने की बात हो, नये एम्स नयी यूनिवर्सिटी नये आईआईटी संस्थान खोलने की बात हो अथवा आयाा बहुओं को आयुष्मान योजना से जोड़़ने की बात हो। इन सबसे फौरी तौर पर तो कोई राहत नही मिलनी है, लेकिन देया को विकास की ओर ले जाने की नींव जरूर बनेगी। नौकरीपेयाा और गृहणियों की झोली इस अंतरिम बजट में खाली ही रही। जितनी पहले थी उतनी ही रही। कुल मिलाकर यह अंतरिम बजट एक ट्रेलर है पूरी पिक्चर आना बाकी है।
