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ग्रामीण घरेलू 40 से 45 प्रतिशत और घरेलू शहरी 35 से 40 प्रतिशत वृद्धि प्रस्तावित


लखनऊ। देर रात पावर कॉरपोरेशन ने गुपचुप तरीके से कुछ ऐसे कार्य किए हैं। जिसमें नियामक आयोग की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है। पावर कॉरपोरेशन की तरफ से गुपचुप तरीके से प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दारो में औसत 29 से 30 प्रतिशत बढ़ोतरी जो ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास की सबसे बड़ी बढ़ोतरी प्रस्तावित की गई है। मामला यहीं पर नहीं थमा पावर कारपोरेशन ने नए उपभोक्ताओं की कनेक्शन की दरों के लिए कॉस्ट डाटा बुक को भी नियामक आयोग में दाखिल कर दिया। जिसमें आने वाले समय में सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं की कनेक्शन की दरों में औसत 25 से 30 प्रतिशत बढ़ोतरी प्रस्तावित है। गुपचुप तरीके से यह भी पता चल रह की विद्युत नियामक आयोग में पावर कॉरपोरेशन की तरफ से निजीकरण के मसौदे पर सलाह लेने का प्रस्ताव भी पांच कॉपी में दाखिल कर दिया गया है। पावर कॉरपोरेशन वर्ष 2025-26 के लिए जो कलेक्शन एफिशिएंसी के आधार पर गलत तरीके से कुल घाटा प्रस्तावित किया है वह लगभग 19644 करोड़ है गौर तलब है कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर निकल रहे सर प्लस लगभग 33122 करोड़ के एवज में पहले ही उपभोक्ता परिषद ने 45 प्रतिशत तक दरो मैं घटोत्री का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग के सामने दाखिल किया है। ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि पावर कॉरपोरेशन एक विवाद खड़ा करने के लिए ऐसा कर रहा है। सबसे बड़ा चौंकाने वाला मामला यह है कि बिजली कंपनियों की तरफ से दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ए आर आर) के सभी आंकड़े समाचार पत्रों में प्रकाशित हो गए हैं। उपभोक्ताओं से आपत्तियां भी मांग ली गई है। 7 जुलाई से बिजली दर की सुनवाई भी चालू है। ऐसे में बीच में विद्युत नियामक आयोग कैसे कैटिगरी वाइज बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव स्वीकार कर सकता है। ऐसा पहले भी हुआ है तब नियामक आयोग मैं सुनवाई शुरू हो जाने के बाद कैटिगरी वाइज बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दाखिल किया गया था। जिसे उपभोक्ता परिषद के विरोध के बाद विद्युत नियामक अयोग ने खारिज कर दिया था। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में पहली बार जो श्रेणी बार विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में व्यापक बढ़ोतरी प्रस्तावित की गई है। उसमें सबसे ज्यादा भार गांव की जनता पर पड़ने वाला है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा सभी को पता है कि वर्तमान में देश के बड़े उद्योगपति अडानी टाटा एनपीसीएल टोरेंट पावर सहित अन्य जो भी उद्योगपति निजीकरण के फल स्वरुप नई बिजली कंपनियों को खरीदना चाहते हैं उनकी पहली शर्त है कि कनेक्शन की दरों में बढ़ोतरी की जाए। बिजली की दरों मे व्यापक बढ़ोतरी की जाए और सस्ती दरों पर बिजली कंपनियों का टेंडर निकाला जाए। जिससे ज्यादा से ज्यादा लाभ हुआ काम सके। पावर कॉरपोरेशन उन्हीं को खुश करने के लिए इस प्रकार की कार्रवाई में लगा है। सबसे बड़ा दुर्भाग्य की बात है कि विद्युत नियामक आयोग भी उनके साथ दे रहा है।
बिजली दरों में बढ़ोतरी प्रस्तावित
प्रस्तावित कैटेगरी दरों में प्रस्तावित प्रतिशत
शहरी घरेलू लगभग 35 से 40 प्रतिशत
ग्रामीण घरेलू लगभग 40 से 45 प्रतिशत
कॉमर्शियल लगभग 20 से 25 प्रतिशत
उद्योग लगभग 15 से 18 प्रतिशत
कुल औसत लगभग 29 से 30 प्रतिशतरू

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