राजनीतिक दलों को नही रहा भरोसा
लखनऊ। लोकसभा चुनाव में इस दफा कई नामी गिरामी सांसदों को पार्टियों ने टिकट ही नही दिया। सपा, बसपा ही नही सत्तारूढ़ बीजेपी ने भी अपने कुछ पुराने पहलवानों पर भरोसा नहीं जताया है।पीलीभीत से सांसद वरूण गांधी का टिकट काट दिया है और उनकी जगह उनकी ही माताजी मेनका गांधी को उतार दिया है। जबकि वे सुल्तानपुर से वर्तमान सांसद हैं।कुछ अभी अधर में लटके हैं कि टिकट बीजेपी देगी या नही। कैसरगंज को ही ले लीजिये, अधर में लटका है मामला। उत्तर प्रदेश में भाजपा के टिकट से वंचित होने वाले सांसदों की संख्या दर्जन भर हो गई है।भाजपा ने प्रयागराज से रीता बहुगुणा जोशी बलिया से वीरेंद्र सिंह मस्त और फूलपुर से केशरी देवी पटेल का टिकट काट दिया है। बाराबंकी से उपेंद्र रावत, कानपुर से सत्यदेव पचौरी, बरेली से संतोष गंगवार, पीलीभीत से वरुण गांधी, बहराइच से अक्षयवर लाल गौड़, गाजियाबाद से जनरल वीके सिंह, बदायूं से संघमित्रा मौर्य, हाथरस से राजवीर सिंह दिलेर और मेरठ से राजेंद्र अग्रवाल को पार्टी ने मौका नहीं दिया है।2024 का आमचुनाव सांसदों का टिकट काटे जाने के लिए याद रखा जाएगा। 2019 में चुनाव जीतने वाले तमाम सांसदों को उनके दलों ने चुनाव लड़ने का मौका नहीं दिया।यूपी में विपक्ष की अब तक घोषित प्रत्याशियों की जो सूचियों में सपा, बसपा और कांग्रेस ने अपने विजेता प्रत्याशियों को टिकट से वंचित रखा है। बदलाव में दो बड़े नेताओं परे हैं क्योंकि 2019 में चुनाव जीतने वाले पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव दिवंगत हो चुके हैं तो कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी राज्यसभा के लिए चुनी जा चुकी हैं। बसपा के 2019 में दस सांसद चुने गए थे। सहारनपुर से हाजी फैजुर रहमान, बिजनौर से मलूक नागर, नगीना से गिरीश चंद्र, अमरोहा से कुंअर दानिश अली, श्रावस्ती से राम शिरोमणि वर्मा, घोसी से अतुल राय, जौनपुर से श्याम सिंह यादव, गाजीपुर से अफजाल अंसारी, अंबेडकरनगर से रितेश पांडेय तथा लालगंज सु. से संगीता आजाद सांसद बनी थीं। एक को छोड़ बसपा ने किसी को प्रत्याशी नहीं बनाया। गिरीश चंद्र पिछले चुनाव में नगीना से सांसद चुने गए थे, उन्हें इस बार बुलंदशहर से टिकट दिया है। श्रावस्ती से बसपा सांसद को सपा ने अपने सिंबल पर उतारा है। बसपा को यहां अन्य पर दांव लगाना होगा।बसपा के 2019 में चुनाव जीतने वाले अमरोहा के सांसद कुंवर दानिश अली कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। अंबेडकरनगर के सांसद रीतेश पांडेय इसी सीट से भाजपा के प्रत्याशी हैं। समाजवादी पार्टी ने 2019 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले अफजाल अंसारी को गाजीपुर से तथा रामशिरोमणि वर्मा को श्रावस्ती से अपना प्रत्याशी बनाया है। बसपा के टिकट पर 2019 में चुनाव जीतने वाले चार सांसद इस चुनाव में दूसरे दलों के सिंबल पर चुनाव मैदान में हैं। सहारनपुर, बिजनौर, घोसी, लालगंज तथा जौनपुर से बसपा के सासंद रहे नेता इस चुनाव में मैदान से बाहर हैं। बसपा ने प्रत्याशी नहीं बनाया है तो दूसरे दलों से टिकट लाने में भी ये नेता विफल रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने 2019 में मैनपुरी से सासंद चुने गए मुलायम सिंह यादव के दिवंगत हो जाने पर डिंपल यादव को यहां से प्रत्याशी घोषित किया है। आजमगढ़ से चुनाव जीतने वाले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यहाँ धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया है। 2019 में रामपुर से सांसद चुने गए आजम खां जेल में हैं। यहां से सपा ने मौलाना मोहिबुल्ला नदवी को प्रत्याशी बनाया है। संभल से सांसद शफीकुर्रहमान बर्क की जगह जिर्याउरहमान बर्क तथा मुरादाबाद से सांसद एसटी हसन की जगह रुचिवीरा को प्रत्याशी घोषित किया है। सपा ने भी 2019 में चुनाव जीतने वाले सांसदों को टिकट से वंचित किया है। 2019 में रायबरेली से सांसद चुनी गईं कांग्रेस नेता सोनिया गांधी अब राज्यसभा के लिए चुनी जा चुकी है। इस बार यहां से चुनाव लड़ती नजर नहीं आएंगी। कांग्रेस ने अभी इस सीट से किसी को प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। इस सीट से प्रियंका गांधी को प्रत्याशी बनाए जाने की कवायद चल रही है।
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