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भाजपा भाजपा से लड़ी, जीत गया गठबंधन,अपनों को नहीं साध पाए हरीश 


बस्ती । जनपद में भारतीय जनता पार्टी शुरुआत में ही जीत की विसात बिछाने में नाकाम रही, यहां बीजेपी को पहला झटका पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष दायशंकर मिश्रा के तौर पर लगा, दयाशंकर ने भाजपा का दामन यह कहकर छोड़ दिया कि वह भाजपा प्रत्याशी हरीश द्विवेदी की वजह से पार्टी छोड़ रहे हैं, दयाशंकर मिश्र ने पार्टी को अचानक से नहीं छोड़ा था, हरीश इनके बीच तकरार चुनाव की तिथि घोषित होने से पूर्व भी चल रही थी। यहां हरीश द्विवेदी दयाशंकर मिश्र को कमजोर आंकते हुए उनको उन्हीं के हाल पर छोड़ दिया, उन्हें मनाना भी उन्होंने उचित नहीं समझा, जिसका परिणाम रहा कि दयाशंकर मिश्र ने बसपा का दामन थाम लिया और बसपा ने उन्हें लोकसभा प्रत्याशी के तौर पर टिकट देकर मैदान में उतार दियास इसके बाद दयाशंकर मिश्र ने अपने समर्थकों के साथ जिले में भाजपा के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया, इस तरह भाजपा खुद भाजपा से लड़ गईस
दयाशंकर मिश्र सहित ही कुछ भाजपा नेताओं में हरीश द्विवेदी के प्रति नाराजगी साफ जाहिर हो रही थी, इन नेताओं का कहना था कि पार्टी में उन्हें उचित तवज्जो नहीं दिया जा रहा है, हरीश को भी यह बात पता थी कि आखिर कुछ भाजपा नेता व कार्यकर्ता क्यों नाराज है। इसके बाद भी हरीश द्विवेदी उन्हें नहीं साध पाए, इस सबके बीच उन्होंने राजनीतिक जमीन तलाश रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री राजकिशोर सिंह को अपने खेमे में मिला लिया और चुनाव मैदान में उतर गए, लेकिन राज किशोर सिंह का भाजपा में शामिल होना पार्टी कार्यकर्ताओं के गले नहीं उतर रहा था, जिसका परिणाम था कि हरैया से भाजपा विधायक अजय सिंह भी नाराज हो गए और उन्होंने सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी भी व्यक्त की थीस
2019 के चुनाव के बाद जिले में भाजपा का दबदबा इस कदर हुआ कि लोकसभा से लेकर विधानसभा सीट तक विपक्षी कहीं काबिज नहीं हो पाए। पांच विधायक के साथ सांसद पद भी भाजपा की झोली में थी। मगर, इस स्वर्णिम अवसर को भाजपा सहेज नहीं पाई। उस समय तत्कालीन विधायक और सांसद के बीच खींचतान जैसी स्थिति सामने आती रही। 2022 के पहले एक-दो बार प्रभारी मंत्री के सामने सरकारी बैठकों में भी भाजपा का अंर्तविरोध सामने आ चुका है। सांसद और विधायक एक-दूसरे के खिलाफ आस्तीन चढ़ाते नजर आए। बहरहाल 2022 का विधानसभा चुनाव आ गया। यहां से पार्टी दिग्गजों की आपस में एक-दूसरे के प्रति त्योरी और चढ़ने लगी। इस चुनाव में सीटिंग एमएलए ही प्रत्याशी बना दिए गए। मोदी-योगी लहर के बाद भी यहां भाजपा को अंर्तविरोध से जमकर जूझना पड़ा। बस्ती सदर से तत्कालीन विधायक दयाराम चौधरी, रुधौली से तत्कालीन विधायक संजय जायसवाल, कप्तानगंज से तत्कालीन विधायक सीपी शुक्ल, महादेवा से तत्कालीन विधायक रवि सोनकर चुनाव हार गए।

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