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हरियाणा नहीं हिमाचल प्रदेश से मिलेगा दिल्ली को पानी


नयी दिल्ली यमुना के पानी को लेकर दिल्ली और हरियाणा का झगड़ा पुराना है, लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली को हिमाचल प्रदेश से पानी दिया जाएगा. इस मामले में राजनीतिक समीकरण स्पष्ट नजर आ रहे हैं. गर्मी की भीषण लहर के बीच पिछले कई दिनों से दिल्ली के कई इलाकों में पानी का भारी संकट चल रहा है. इसी स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार ने 31 मई को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. याचिका में दिल्ली सरकार ने कहा था कि राजधानी के प्राथमिक पानी के स्रोत सोनिया विहार और भागीरथी बैराज अपने अधिकतम स्तर पर काम कर रहे हैं, लेकिन फिर भी सभी इलाकों की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं. सरकार ने याचिका में यह भी कहा कि दिल्ली को अतिरिक्त पानी की तुरंत इसलिए भी जरूरत है कि क्योंकि दिल्ली में ही वो कर्मचारी भी काम करते हैं जो पूरे देश के मामलों का प्रबंधन करते हैं.सरकार ने अदालत को बताया कि उसने हरियाणा सरकार से मदद का अनुरोध किया था, लेकिन अभी तक जवाब नहीं आया है. इसलिए दिल्ली सरकार ने अदालत से गुजारिश की कि वो हरियाणा को आदेश दे कि उसे हिमाचल प्रदेश से जो अतिरिक्त पानी मिलता है, वो हरियाणा सरकार वजीराबाद बैराज के जरिए दिल्ली भेज दे.इसी मामले में गुरुवार छह जून को सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वो 137 क्यूसेक अतिरिक्त पीने का पानी तुरंत छोड़े. साथ ही हरियाणा सरकार को भी आदेश दिया गया कि वो इस पानी को हथिनीकुंड बैराज और वजीराबाद बैराज के जरिये दिल्ली पहुंचाने में मदद करे.अदालत ने अपर यमुना रिवर बोर्ड (युवाईआरबी) को भी आदेश दिया कि वो हिमाचल प्रदेश द्वारा छोड़े जाने वाले पानी को माप भी ले. चूंकि यह एक तात्कालिक कदम है, मामले पर सुनवाई जारी रहेगी और अगली सुनवाई 10 जून को होगी.अदालत की कार्रवाई में यह स्पष्ट नजर आया कि इस मामले में किस तरह राजनीति हावी रही है. हरियाणा में इस समय बीजेपी की सरकार है, दिल्ली में आप की और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की.अभी-अभी खत्म हुए लोकसभा चुनावों में श्आपश् और कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर, दिल्ली में और हरियाणा में विपक्ष के इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनीं और बीजेपी के खिलाफ मिलकर चुनाव लड़ा. हरियाणा सरकार पानी के मुद्दे पर दिल्ली की मदद करने को तैयार नहीं हुई, जबकि हिमाचल सरकार तैयार हो गई.सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल सरकार के वकील भी मौजूद थे और उन्होंने पहले ही अदालत को बता दिया था कि उनकी सरकार ब्यास नदी के पानी को अपनी नहरों के जरिए दिल्ली भेजने के लिए तैयार है. इसके विपरीत हरियाणा के वकील का कहना था कि यह प्रस्ताव व्यावहारिक नहीं है, लेकिन उन्होंने अपनी आपत्ति का कारण नहीं बताया. बाद में केंद्र सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने अदालत को बताया कि हरियाणा का कहना है कि अतिरिक्त पानी को मापने और अलग करने का कोई तरीका नहीं है. इस पर दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पैसों की तरह पानी भी परिवर्तनीय है, यानी ऐसा संसाधन जिसे उसी के जैसे दूसरे संसाधन से बदला जा सकता है. इसके बाद हरियाणा के वकील ने यूवाईआरबी को दिए गए डाटा पर भी सवाल उठाया, जिस पर अदालत ने बताया कि यह डाटा केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा दिया गया है।

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