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कबीरपंथियों ने की गुरु बंदगी, भजन से किया महिमा का बखान


ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को काशी में संत कबीर साहब के 626वें प्राकट्योत्सव पर उल्लास रहा। मठों, आश्रमों और कबीर मंदिरों में मत्था टेकने व दर्शन करने के लिए अनुयायियों की भीड़ लगी रही। कबीर की जन्मस्थली लहरतारा से लेकर कर्म स्थली कबीरचौरा के मूलगादी तक देश-विदेश से आए अनुयायियों ने गुरु वंदगी की। सत्संग, भजन कीर्तन से उनकी महिमा का बखान किया। वहीं, बीएचयू की मुक्ताकाशी मंच पुलिया प्रसंग में भी कबीर के व्यक्तित्व पर चर्चा हुई।प्राचीन कबीर प्राकट्य स्थली लहरतारा में महंत गोविंद दास शास्त्री के साथ अनुयायियों ने भी दर्शन-पूजन किया। भक्तों ने भजन कीर्तन, सत्संग और संगोष्ठी से कबीर साहब के जीवन दर्शन का गान किया। इस दाैरान गोष्ठी का आयोजन हुआ। इसमें महर्षि भगवान वाल्मीकि आश्रम नई दिल्ली के महंत विवेकनाथ महाराज और विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने वैशाली : एक अनंत यात्रा पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक का संपादन डॉ. मनोज कुमार सिंह ने किया है।
गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि कबीर न सिर्फ एक संत थे, बल्कि वे एक विचारक और समाज सुधारक भी थे। उन्होंने अपने पूरे जीवन में समाज की बुराइयों को दूर करने के लिए दोहे और कविताओं की रचना की। इस मौके पर महंत रामदास महाराज, अवध बिहारी महाराज, डॉ. राजीव, अमरीश सिंह भोला, दिनेश दास महाराज माैजूद रहे। टेका और भजन कीर्तन से कबीरवाणी का गान किया। इस दौरान वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कबीर का संदेश विषयक संगोष्ठी का भी आयोजन हुआ। कार्यक्रम में दिल्ली के प्रो. ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि कबीर सामाजिक समरसता के शाश्वत संदेशवाहक थे। उनको समाज में किसी तरह की विषमता स्वीकार नहीं थी। प्रो. सुरेंद्र प्रताप ने उनको समतामूलक समाज का वाहक बताया। मठ के प्रभारी प्रमोद दास, प्रो. इंदीवर, प्रो. कैलाश तिवारी, प्रो. श्रद्धानंद, राधेश्याम सिंह ने भी विचार रखे। इस दौरान मठ के आचार्य विवेकदास का संदेश भी पढ़कर सुनाया गया।
कबीर के व्यक्तित्व में है स्वाधीनता की खोज
बीएचयू की मुक्ताकाशी मंच पुलिया प्रसंग पर भी लोगों ने कबीर को याद किया और उनके पदों का गान किया। पुलिया प्रसंग संस्था के बैनर तले कबीर का सच विषय पर परिचर्चा हुई। अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि कबीर के व्यक्तित्व की बुनियादी विशेषता स्वाधीनता की खोज है।
यही वह पक्ष है जिसका आधार बनाकर हर बौद्धिक कबीर तक की यात्रा करता है। डॉ. अभिषेक सिंह, शोधार्थी मनकामना शुक्ल, दीपक, डॉ. सनद, अक्षत पांडेय ने भी अपने विचार रखे। संचालन आलोक गुप्ता और धन्यवाद ज्ञापन शिवम यादव ने किया।

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