14 दिनों के एकांतवास के बाद भगवान जगन्नाथ काशी की गलियों में छह जुलाई को मनफेर के लिए भ्रमण पर निकलेंगे। सात जुलाई से काशी का रथयात्रा मेला भी शुरू हो जाएगा।पूर्णिमा के साथ ही ज्येष्ठ माह का समापन हो जाएगा और प्रतिपदा से आषाढ़ की शुरुआत हो जाएगा। इसी महीने में रथयात्रा मेले के साथ काश्नाी के लक्खा मेलों की शृंखला भी शुरू हो जाएगी जो नाग नथैया तक अनवरत चलेगी। काशी के पंचांगों के अनुसार आषाढ़ मास की शुरुआत 23 जून से हो जाएगी और समापन 21 जुलाई को होगा। इसके बाद सावन मास शुरू होगा। आषाढ़ मास में जप, तीर्थ यात्रा करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है।आषाढ़ के महीने की शुरुआत भगवान जगन्नाथ की जलयात्रा और मां कामाख्या के आंबुवाची योगपर्व से हो रही है। इसके साथ ही योगिनी एकादशी और गुप्त नवरात्रि का भी संयोग रहेगा। काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी के अनुसार आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 जून को सुबह 6:39 बजे से प्रारंभ होकर 23 जून को सुबह 5:18 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार आषाढ़ मास का आरंभ 23 जून से होगा। सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग की स्थापना भी इसी दिन हुई थी।आषाढ़ महीने को मनोकामना पूर्ति के लिए सर्वोत्तम माह माना जाता है। इस महीने पौराणिक महत्व के मंदिरों और प्राचीन तीर्थों के दर्शन करने चाहिए। आषाढ़ माह की देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाएंगे। आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि के दौरान देवी की पूजा करने से समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
आषाढ़ माह में यह करें
आषाढ़ मास में रोज सुबह उठकर भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें।
गरीब और जरूरतमंदों को अन्न, धन, वस्त्र और छाते का दान करें।
रोजाना ऊं नम: शिवाय, ऊं नमो भगवते वासुदेवाय, कृं कृष्णाय नम:, ऊं रां रामाय नम:, ऊं रामदूताय नम: मंत्र का जाप करें।
गुरुजनों का सम्मान करें।
तामसिक चीजों (मांस-मदिरा, नशीले पदार्थ) से दूरी बना कर रखें।
पत्तेदार सब्जी, तेल वाली चीजों से बचना चाहिए।
आषाढ़ मास के व्रत त्योहार
27 जून को कृष्ण पिंगल संकष्टी चतुर्थी है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
28 जून को कालाष्टमी और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी है। कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-उपासना होगी।
दो जुलाई को योगिनी एकादशी है। इस दिन लक्ष्मी नारायण जी की पूजा और एकादशी का व्रत रखा जाता है।
तीन जुलाई को आषाढ़ माह का पहला प्रदोष व्रत है। इस दिन रोहिणी व्रत भी है।
चार जुलाई को मासिक शिवरात्रि है। भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है।
पांच जुलाई को आषाढ़ अमावस्या पर गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान किया जाता है। साथ ही पितरों का तर्पण और पिंड दान होगा।
छह जुलाई से लेकर 17 जुलाई तक गुप्त नवरात्र रहेगा।
सात जुलाई को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का मेला शुरू होगा।
नौ जुलाई को विनायक चतुर्थी है। भगवान गणेश की और चतुर्थी का व्रत रखा जाता है।
11 जुलाई को स्कंद षष्ठी है।
14 जुलाई को मासिक दुर्गाष्टमी है।
16 जुलाई को कर्क संक्रांति है। इस दिन सूर्य देव मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में गोचर करेंगे।
17 जुलाई को देवशयनी एकादशी है। इस दिन लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाएगी और एकादशी का व्रत रखा जाता है।
18 जुलाई को वासुदेव द्वादशी है। इस दिन वासुदेव की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही प्रदोष व्रत भी है।
20 जुलाई को कोकिला व्रत है। इस दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है।
21 जुलाई को गुरु और आषाढ़ पूर्णिमा है। इस दिन भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही वेदव्यास जी की भी उपासना की जाती है।
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