सिग्नेचर पुल बनवाने के लिए लगभग दो साल पहले स्वीकृति मिल चुकी है। इसके लिए 276 करोड़ का बजट भी स्वीकृत हो चुका है। वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र न मिलने से निर्माण कार्य नहीं शुरू हो सका।चंबल नदी पर लगभग दो साल पहले सिग्नेचर पुल बनवाने की स्वीकृति दी गई। इसके लिए शासन स्तर से 276 करोड़ रुपये का बजट भी स्वीकृत कर दिया गया, लेकिन वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) न मिलने से पुल का निर्माण कार्य अब शुरू नहीं किया जा सका है।मध्यप्रदेश को जिले से जोड़ने के लिए चंबल नदी पर लगभग 70 साल पुराना पुल बना है। इसकी अवधि अधिक हो जाने की वजह से आए दिन क्षतिग्रस्त हो जाता है। ऐसे में पुल को बंद भी करना पड़ता है। बीते लगभग डेढ़ साल से पुल बंद था, हाल में ही नियमों के साथ खोल गया था। भिंड, ग्वालियर होकर मध्यप्रदेश में जिले के लोग चंबल पार करके प्रवेश करते हैं। इस रास्ते में चंबल नदी पर लगभग 800 मीटर का 70 साल पुराना पुल बना हुआ है। इससे ही सभी का आवागमन रहता है। लेकिन पुल पुराना होने और इस पर ओवरलोड वाहन निकलने की वजह से कई क्षतिग्रस्त हो चुका है।लगभग डेढ़ साल पहले प्रशासन की ओर से इसे बंद भी करा दिया था। जिले की मध्यप्रदेश से आवाजाही प्रभावित हो गई थी। लोगों को चकरनगर होते हुए लगभग 100 किलोमीटर का चक्कर लगाकर मध्यप्रदेश जाना पड़ रहा था। इन परिस्थितियों को देखते हुए सदर विधायक सरिता भदौरिया ने उक्त पुल के समकक्ष एक नया पुल बनवाने की मांग की थी।लोगों की परेशानी को देखते हुए शासन ने भी इसे लगभग दो साल पहले स्वीकृति दे दी थी। ऐसे में जल्द ही इस सिग्नेचर पुल के बनने से लोगों को राहत मिलने की उम्मीद थी। इसके लिए शासन ने लगभग 276 करोड़ रुपये का बजट भी स्वीकृत कर दिया गया था। पुल निर्माण के बीच में वन विभाग की जगह होने की वजह से उसकी ओर से एनओसी नहीं मिल सकी है। ऐसे में पुल के निर्माण की प्रक्रिया दो साल से रुकी हुई है।
कई बार किए जा चुके प्रयास
राष्ट्रीय मार्ग खंड के अधिशासी अभियंता मुकेश ठाकुर ने बताया कि शासन से नए फोरलेन पुल का बजट विभाग को मिल चुका है। टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सिर्फ चंबल सेंक्चुअरी की एनओसी का इंतजार है। कई बार प्रयास के बाद भी एनओसी नहीं दी जा रही है। हमारी ओर से सभी तैयारियां कर ली गई हैं। एनओसी मिलते ही काम को शुरू कराया जाएगा। पुल के बीच में वन विभाग की जगह बीच में आ रही है। विभाग के नियमों के कोरम पूरे न होने की वजह से एनओसी नहीं दी जा रही है। इस संबंध में उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। प्रयास है कि एनओसी जल्द दी जा सके।
