नारायण मूर्ति ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि वे वर्क लाइफ बैलेंस (कार्य जीवन संतुलन) में विश्वास नहीं रखते। उन्होंने भारत में छह के बजाय पांच दिन काम करने के फैसले की भी आलोचना की। दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के बीते दिनों जीवन संतुलन को लेकर दिए गए बयान के बाद फिर से इसे लेकर बहस शुरू हो गई है। अब कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने नारायणमूर्ति के बयान की आलोचना की है। गौरव गोगोई ने कहा कि लगातार काम करते रहना अति-कार्य संस्कृति है।
नारायण मूर्ति ने क्या कहा था
दरअसल कुछ दिनों पहले नारायण मूर्ति ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि वे वर्क लाइफ बैलेंस (कार्य जीवन संतुलन) में विश्वास नहीं रखते। उन्होंने भारत में छह के बजाय पांच दिन काम करने के फैसले की भी आलोचना की। उन्होंने कहा था कि भारत के आर्थिक विकास के लिए भारतीयों को हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए। नारायण मूर्ति ने पिछले साल भी अपने एक बयान में हफ्ते में 70 घंटे काम करने की वकालत की थी, जिसके बाद कई लोगों ने उनके बयान की आलोचना की थी। वहीं कुछ लोगों ने नारायण मूर्ति के बयान का समर्थन भी किया था।
गोगोई ने कहा-कर्मचारी गुलाम नहीं हैं
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने नारायण मूर्ति के बयान से असहमति जताई है। सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में गौरव गोगोई ने लिखा कि ‘मैं वर्क लाइफ बैलेंस पर नारायण मूर्ति के विचार से असहमत हूं। अपने बच्चों की देखभाल करना, उनके लिए खाना बनाना, उन्हें पढ़ाना और अपने बुजुर्ग माता-पिता की सेवा करना ही तो जीवन है।’ गोगोई ने कहा कि सिर्फ व्यवसायिक कामकाज ही जीवन नहीं है बल्कि निजी और पारिवारिक जिम्मेदारियों का मिश्रण ही जीवन है। गोगोई ने कहा कि कर्मचारी गुलाम नहीं हैं। लंबे समय तक काम करने का मतलब बेहतर उत्पादकता नहीं है। कई देशों ने कामकाज के दिन पांच से घटाकर चार कर दिए हैं और वो भी अच्छा कर रहे हैं।
