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एलयू दीक्षांत समारोह, 1 लाख को मिली डिग्री,


हर विश्वविद्यालय में टॉप कर रही हैं बेटियां, हम विश्व गुरु बनेंगे: राज्यपाल
लखनऊ । लखनऊ विश्वविद्यालय का आज 67वां दीक्षांत समारोह मनाया गया। यूनिवर्सिटी परिसर में हुए इस समारोह की अध्यक्षता राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने की। समारोह में कंप्यूटर वैज्ञानिक और शिक्षाविद डॉ. विजय पांडुरंग भातकर मुख्य अतिथि बनकर पहुंचे। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने बटन दबाकर 1 लाख 6 हजार 603 स्टूडेंट्स की डिग्रियां और मार्कशीट डिजी लॉकर में अपलोड किया। कार्यक्रम में 106 मेधावियों को 198 मेडल दिए गए। इनमें सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल छात्राओं ने जीते है। राज्यपाल ने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय में जा रही हूं, तो वहां सबसे ज्यादा मेडल पाने वालों में लड़कियां ही आगे हैं। यह अच्छी बात है। हम जल्द ही विश्व गुरु बनने वाले हैं। राज्यपाल ने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय ने शिक्षा में नए कीर्तिमान बनाए हैं। कार्यक्रम में पहुंचे उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय से छात्रों से कहा कि आप जाति में मत बंटिए। वहीं, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी ने कहा कि हमें आने वाली पीढ़ी के लिए अच्छा भविष्य तक करना है।़ राज्यपाल ने कहा कि पहले यूनिवर्सिटी की स्थिति और आज की यूनिवर्सिटी में जो परिवर्तन आया है, वह सब आपने ही किया है। कमिटमेंट के साथ लक्ष्य बनाकर उसे पाने का उत्तम उदाहरण है लखनऊ यूनिवर्सिटी। एनएएसी की रेटिंग के लिए सभी विश्वविद्यालय कहते थे कि।़़ बहुत मुश्किल हैं। आपने उसे हासिल किया है। अंडर 100 एनआईआरएफ रैंकिंग लाना भी बड़ी उपलब्धि है। यूजीसी की कैटेगरी 1 रैंकिंग पाने के बाद प्रधानमंत्री से मिलना वाले 100 करोड़ के फंड का उपयोग रिसर्च के लिए होने जा रहा है। सभी अवॉर्ड पाने वालों को बहुत बधाई। जिनको नहीं मिला उनको भी बधाई। उनके माता-पिता को भी बधाई। मैंने मेडल पाने वाले सभी मेधावियों के माता-पिता को मंच पर बुलाया। इससे उनके मन में मेधावियों के लिए गौरवान्वित महसूस करें। यहां से पढ़कर निकले कितने ही बच्चे वैज्ञानिक, उद्यमी बनकर देश-दुनिया में नाम कर रहे हैं।
प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि किसी भी यूनिवर्सिटी जाइए, लड़कियां की सबसे ज्यादा मेडलिस्ट हैं। यह अच्छी बात है। इससे ये तय है कि भारत बहुत जल्द विश्व गुरु बन जाएगा।छोटे बच्चे को देखिए, स्कूल में भी उसी तरह पढ़ाया जाता हैं और घर में भी वैसा ही माहौल रहता हैं।
निबंध लेखन प्रतियोगिता में लिखे गए निबंध को मैंने देखा, इतनी सुंदर लिखावट ऐसी ही राइटिंग होनी चाहिए। प्रतिस्पर्धा जरूर होनी चाहिए। हेल्दी प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए। लखनऊ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सरकारी स्कूलों के स्टूडेंट्स और टीचर्स को पुस्तकें गिफ्ट की गईं। यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने लखनऊ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में एक दर्जन से ज्यादा पुस्तकों का विमोचन किया है। यह पुस्तकें शिक्षकों द्वारा ही लिखी गई हैं।
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्र में यदि कोई पहला नेता हुआ, तो वह चाणक्य ही थे। जो लोग राष्ट्र को बांटते हैं, उन्हें इसका परिणाम भी भुगतना पड़ता है। पहले यूपी के विश्वविद्यालयों की क्या व्यवस्था थी ये सभी को पता है। आज प्रदेश के 7 सरकारी विश्वविद्यालय को ।़़ ग्रेडिंग मिली है। ये आज राज्यपाल के मार्गदर्शन से ही संभव है। उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने गणेश उत्सव के आयोजन पर पत्थरबाजी की घटना का जिक्र किया। उच्च शिक्षा मंत्री ने छात्रों को जातियों में न बंटने की सलाह दी।उन्होंने कहा कि ये सप्ताह गणेश उत्सव का है। कई सालों पहले बाल गंगाधर तिलक ने इसी के माध्यम से राष्ट्र एकता की भावना को जागृत किया था। पर ये भी देखा जाता है कि ऐसे आयोजनों पर पत्थर फेंके जाते हैं।ये कौन हैं, जो उनको पत्थर फेंकने की शिक्षा दे रहे हैं। हम सभी को ये सोचना चाहिए। आने वाली पीढ़ी को ये सोचना चाहिए। हम तो उस क्षेत्र के वासी हैं, जहां प्रभु श्री राम, भगवान कृष्ण और भगवान शंकर से यहां से गहरा नाता रहा है। लोहिया जी कहते थे कि भले ही इन्हें कोई ईश्वर माने या न माने पर इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि इन्होंने पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोया था। शंकर जी के पूरे राष्ट्र में 12 शिवलिंग हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरे राष्ट्र को एक करते हैं।
राज्यमंत्री रजनी तिवारी ने कहा कि विद्यार्थियों, आपकी कड़ी मेहनत रंग लाई है। मुझे उम्मीद है कि आज से शुरू हो रहे नए सफर में आप जरूर देश को मजबूत करने में अपना योगदान देंगे। अंतरिक्ष विज्ञानी नीलेश देसाई ने कहा-अल्बर्ट आइंस्टीन कहते थे एजुकेशन से फैक्ट्स सीखने से ज्यादा दिमाग की ट्रेनिंग होती है। बर्नार्ड शॉ ने कहा था कि दुनिया में महज 2 फीसदी लोग सोचते हैं। 3 फीसदी लोग सोचते नही हैं, लेकिन उन्हें लगता हैं कि वो सोचते हैं। बाकी 95 फीसदी लोग कभी सोचते ही नहीं। कलाम साहब कहते थे कि भारत को 3 शब्द से बहुत कुछ सीखने को मिला है। महात्मा गांधी ने कहा था कि जब विचार आपके शब्द बन जाएंगे और आप जो बोल रहे हैं, वह आपका एक्शन बन जाएगा तो फिर आपके एक्शन ही आपकी आदत बन जाएगी। इन आदतों से आपके सिद्धांत विकसित होंगे। वहीं, आपकी डेस्टिनी बन जाएगी। नीलेश एम. देसाई ने कहा कि ये मेरे लिए प्राइड और प्रिविलेज का मौका है। गर्व का विषय है कि आज हमारे बीच फादर ऑफ कंप्यूटर डॉ. विजय पांडुरंग मौजूद हैं। आज विश्व ओजोन दिवस भी है। इस दिन कॉन्वोकेशन का आयोजन बेहद अच्छा है। ये उपाधि उन सभी असल हीरो के नाम पर है, जिनकी बदौलत भारत का मून मिशन सफल रहा। मैं अहमदाबाद से हूं। वो विक्रम सारा भाई की भूमि है। उन्होंने कहा था कि स्पेस टेक्नोलॉजी तभी सफल होगी, जब इसका उपयोग बेहतर होगा। खुशी की बात ये है कि ये डिग्री भी मुझे महामहिम आनंदी बेन पटेल से मिली जो गुजरात से हैं। सभी अवॉर्ड विनर को बहुत शुभकामनाएं

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