पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दीघा में नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर को लेकर उठे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह दोनों मंदिरों का सम्मान करती हैं। उनकी यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब राज्य सरकार द्वारा मंदिर को ‘जगन्नाथ धाम’ के रूप में प्रचारित करने पर आपत्ति जताई जा रही है, जो परंपरागत रूप से ओडिशा के पुरी में 12वीं शताब्दी के जगन्नाथ मंदिर से जुड़ा हुआ शीर्षक है। विवाद के बीच, ओडिशा सरकार ने यह भी कहा कि वह बनर्जी को एक पत्र भेजने का इरादा रखती है, जिसमें उनसे दीघा में हाल ही में निर्मित जगन्नाथ मंदिर को जगन्नाथ धाम के रूप में संदर्भित करना बंद करने का अनुरोध किया जाएगा।इस मुद्दे पर बोलते हुए बनर्जी ने दोनों मंदिरों के महत्व को समान बताया और दीघा स्थल को जगन्नाथ धाम के रूप में संदर्भित किया। उन्होंने कहा, “हम पुरी के मंदिर का सम्मान करते हैं और जगन्नाथ धाम का भी सम्मान करते हैं। काली मंदिर और गुरुद्वारे देश भर में हर जगह हैं। मंदिर हर जगह हैं…इस मुद्दे पर इतना गुस्सा क्यों है?” 4 मई को भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने दीघा मंदिर के नाम पर आपत्ति जताई और कहा कि किसी अन्य मंदिर को धाम नहीं कहा जा सकता।उन्होंने कहा कि मैं एक बात पर सख्त आपत्ति जताता हूं। दुनिया में सिर्फ एक जगन्नाथ धाम है और किसी अन्य स्थान को जगन्नाथ धाम कहना संभव नहीं है क्योंकि कोई अन्य स्थान है ही नहीं। गौरतलब है कि भारत में चार धाम हैं और उनमें से पुरी मंदिर भी एक है। भाजपा नेता ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि किसी अन्य स्थान को जगन्नाथ धाम नहीं कहा जा सकता।” पश्चिम बंगाल सरकार ने 30 अप्रैल को दीघा स्थित जगन्नाथ मंदिर का आधिकारिक उद्घाटन किया। मंदिर की वास्तुकला 12वीं शताब्दी के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर से प्रेरित है तथा इसमें वही देवता प्रतिष्ठित हैं।
