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हर दल का सपना, दलित हो जाये अपना


लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 में देश के संविधान को लेकर सर्वाधिक चर्चा है। चर्चा सत्तापक्ष एवं विपक्ष दोनों ओर से हो रही है। संविधान में दलितों एवं पिछड़ों को मिले आरक्षण को खत्म करने को लेकर भाजपा एवं इंडिया गठबंधन दोनों ही एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनावी सभा में कांग्रेस से कहा कि वह लिख कर दे कि आरक्षण में छेड़छाड़ नहीं करेंगे। विपक्षी दल भाजपा पर आरोप लगा रहे है कि बीजेपी बहुमत के साथ सत्ता में आने पर संविधान बदल देगी। दलितों के कानों में यह आवाज गूंज रही है, लेकिन खामोश है। भाजपा ने इस बार 400 पार का नारा दिया। कुछ भाजपा नेता भी संविधान बदलने की बात बोल पड़े थे। विपक्षी दल इसे मुद्दा बनाते हुए दलितों के बीच यह संदेश देने में जुट गए कि भाजपा सत्ता में आयी तो संविधान को बदल आपको अधिकार खत्म कर देगी। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को भी सफाई देनी पड़ी। इसके बाद पीएम नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस से लिखित मांगा कि आप आरक्षण में कोई छेड़छाड़ नहीं करेंगे। भाजपा नेता अब आरक्षण को बरकरार रखने की कवायद कर रहे हैं। भाजपा ने प्रचार में दलित एवं पिछड़े वर्ग के नेताओं को उतारा और संदेश देने की कोशिश की कि आरक्षण में बदलाव नहीं करने जा रहे हैं। योजनाओं का लाभ ले रहे दलितों को एकजुट करने में जुटे है। बावजूद इसके विपक्षी दल संविधान बदलने का आरोप भाजपा पर मढ़ रहे है। प्रदेश में 17 सुरक्षित लोकसभा सीटों में 16 पर भाजपा गठबंधन और एक पर बसपा पिछले चुनाव में काबिज हुई थी। 2014 के चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की सुरक्षित सीटों पर कब्जा किया था। दलित उसकी सत्ता , आजादी के बाद से यह ट्रेंड चल रहा है। संविधान की आड़ में दलितों को लेकर रस्साकसी है। कांग्रेस और सपा कहती है भाजपा संविधान को बदल देश के लोगो के अधिकार और आरक्षण समाप्त करना चाहती है। इसे लेकर लगातार भाजपा नेताओं के बयान आ चुके हैं। कांग्रेस लगातार जातीय जनगणना की मांग कर रही है। इससे सब स्पष्ट हो जायेगा और आबादी के अनुरूप अधिकार मिल जायेंगे। भाजपा इससे क्यों भाग रही है। भाजपाई कहते हैं कि भाजपा में दलित ही नहीं बल्कि सभी जाति धर्म के लोगों का सम्मान है। लोकसभा चुनाव 2024 में अब वो बात नहीं रही,अब कांग्रेस को बहुत ज्यादा माइनस करना मुनासिब नहीं है। बीएसपी की जो पोजीशन दिख रही है, उसे देख दलित वोटर अपना भला बुरा सोचकर निर्णय लेंगे। ये बात भी सही है कि बीएसपी के घटे जनाधार के कारण बीएसपी के वोट बैंक में सेंधमारी हर दल करने को बेताब है। सबके मन मे दलित प्रेम उमड़ा है। कई बड़े ओहदों पर रहे कर्नल कमलेश चंद्रा की राय के अनुसार दलित कांग्रेस का ही वोट बैंक था लेकिन समय के अनुसार समीकरण बदले और कांशीराम ने इन्हें एकमुश्त बीएसपी की ओर मोड़ लिया था, जो अब पुनः अपने घर वापसी कर रहा है। एससी एसटी वोट बैंक अब विखर गया है, लेकिन किसी के बहकावे में आने वाला नही है। अब वोटर बहकाने से बहकता नही ,यह शिक्षा के कारण है। पहले अशिक्षा का बेजा फायदा अक्सर लोग उठा लेते थे लेकिन आज हर घर में ग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट है।अब पब्लिक सब जानती है। चुनाव में कांग्रेस को सभी जाति धर्म का समर्थन मिल रहा है। राजद के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष रविन्द्र कुमार श्रीवास्तव अंगारा तो बोल्डली बोलते हैं कि दलित वोटर को अब बैंक बनाने की कूबत किसी मे नही,संविधान के अनुरूप जिससे अधिकार की उम्मीद होगी, उधर ही झुकेगा।

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