भारत समेत दुनिया भर में फेफड़ों के कैंसर यानी लंग कैंसर से मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। फेफड़े के कैंसर को अक्सर धूम्रपान करने वालों की बीमारीष् माना जाता है, हालांकि इसकी चपेट में वो लोग भी आ रहे हैं जो धूम्रपान नहीं करते हैं। वैसे तो लंग कैंसर का खतरा 65 की उम्र के बाद देखा जाता है लेकिन आजकल 45 से कम उम्र वाले भी इसका शिकार हो रहे हैं।
दो प्रकार का होता है कैंसर
फेफड़ों का कैंसर तब होता है जब एक या दोनों फेफड़ों के ऊतकों में असामान्य कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ती हैं। फेफड़ों के कैंसर के दो मुख्य प्रकार हैंरू लघु कोशिका फेफड़ों का कैंसर (एससीएलसी) और गैर-लघु कोशिका फेफड़ों का कैंसर (एनएससीएलसी) ए एनएससीएलस स्थानीय स्तर पर फेफड़ों के कैंसर के सभी मामलों में से लगभग 87.3 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है और इसे कोशिका के प्रकार और उत्परिवर्तन के आधार पर उपप्रकारों में वर्गीकृत किया गया है।
48 प्रतिशत मरीजों ने नहीं की स्मोकिंग
ऐसा बिल्कुल जरूरी नहीं है कि जो लोग स्मोकिंग करते हैं, सिर्फ उन्हें लंग कैंसर का खतरा रहता है, बल्कि जो स्मोक करने वाले लोगों के साथ उठते-बैठते हैं उन्हें भी पैसिव स्मोकिंग की वजह से लंग कैंसर हो सकता है। 2018 में किए गए एक स्थानीय अध्ययन में पाया गया कि फेफड़ों के कैंसर के 48 प्रतिशत मरीज कभी धूम्रपान नहीं करने वाले थे – ऐसे व्यक्ति जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया या अपने जीवनकाल में 100 से कम सिगरेट पी हैं।
सेकेंड हैंड स्मोक से ज्यादा खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि सेकेंड हैंड स्मोक में लगभग 60 कैंसर पैदा करने वाले रसायन होते हैं जबकि अन्य अध्ययनों का अनुमान है कि निष्क्रिय धूम्रपान से फेफड़ों के कैंसर का जोखिम लगभग 25 प्रतिशत बढ़ जाता है। सेकेंडहैंड स्मोकिंग का मतलब तंबाकू उत्पादों को जलाने से निकलने वाले धुएं में सांस लेने से है। मतलब अगर आपके साथी धूम्रपान करते हैं और उससे निकलने वाले धुएं में आप सांस ले रहे हैं तो इसके कारण भी आपमें कैंसर का खतरा हो सकता है।
ना करें लक्षणों को नजरअंदाज
फेफड़े का कैंसर, खास तौर पर अपने शुरुआती चरणों में, लक्षण पैदा नहीं कर सकता है। कई सामान्य समस्याएं, जैसे कि खांसी जो ठीक नहीं होती, अन्य चिकित्सा स्थितियों के कारण हो सकती हैं। हालांकि, पुरानी खांसी को किसी पिछले संक्रमण के प्रभाव के रूप में नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। फेफड़े के कैंसर के अन्य लक्षणों में खून से सना हुआ थूक, सांस लेने में तकलीफ, बार-बार छाती में संक्रमण, थकान, स्वर बैठना और अनैच्छिक वजन घटना शामिल हो सकते हैं। कुछ मामलों में, व्यक्तियों को कंधे की नोक में दर्द और चेहरे पर सूजन या छाती में दर्द का अनुभव हो सकता है जो सांस लेने के साथ बढ़ जाता है। इन लक्षणों का अनुभव करने वाले किसी भी व्यक्ति से तुरंत चिकित्सा परामर्श लेने का आग्रह किया जाता है।
